विषय –शीर्षक– जमीर
विषय –शीर्षक– जमीर
“साधना, लंच ब्रेक में ऑफिस में आना।” पीरियड चेंज की रिंग बजते ही सुवीर सर ने रजिस्टर उठाया और एक गहरी नज़र से साधना को देखकर कहा और क्लास रूम से निकल गये।
साधना का चेहरा सफेद पड़ गया।
“क्या हुआ..सर ने क्यों बुलाया ?”रागिनी ने उसे देखते पूछा
“पता नहीं..।”साधना की आवाज लरज गयी ।
तभी मैथ की टीचर आने से सब चुप हो गये।
साधना का मन पढ़ाई में न लग उस दिन कोसने लगा जब वह इस कालेज में न्यू एडमीशन आई थी। आफिस में उस दिन सुवीर सर ही थे। पता नहीं कैसी तो नज़रों से देख रहे थे।साधना सहम गयी थी। उस दिन के बाद जब भी देखते अजीब सी नज़रों से घूरते रहते थे।
उस दिन बारिश हो रही थी। कालेज की गैलरी से निकलते वक्त वह थोड़ा भीग गयी थी तभी सुवीर सर वहाँ आगये उसे देख बोले आफिस में आओ।
जैसे ही आफिस में पहुँची तो बोले ..”आज बहुत सुंदर लग रही हो।जरा यहाँ आओ।” साधना हड़बड़ा गयी।आफिस में उस वक्त सर और उसके अलावा कोई और न था। सर मुझे क्लास में जाना है कह कर जैसे ही वह आगे बढ़ी ,एक सैकंड बाद ही वह सर की बाँहों में थी।
छोड़िये सर …बस कसमसा उठी ।सर की उंगलियाँ पीठ पर अजीब तरस से रेंग रही थी। जैसे तैसे स्वयं को छुड़ा कर वह भागी। क्लास में आई तो हाँफ रही थी। उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रही थीं।सहेलियों ने पूछा तो वह कुछ न कह सकी और घर वापिस चली गयी थी। घर जाते ही उसे बुखार हो गया और तीन दिन बाद आज कालेज आई तो सर ने आफिस में आने का कहा..।
“साधना…।”रागिनी ने उसे बुलाते हुये हिलाया तो वह वर्तमान में आई।
“ध्यान कहाँ है आपका मिस साधना ?”मैथ की टीचर ने कहा तो वह सर झुका कर खड़ी हो गयी।घबराहट में उसके मुँह से एक शब्द न निकला। आँसू बह निकले ।”क्या हुआ साधना? आप रो क्यों रही हैं…कोई परेशानी?”मैथ की टीचर ने पूछा
वह मौन थी। “मेरे साथ आओ… पीरियड खतम होने पर उन्होंने प्यार से कहा तो साधना साथ चली गयी।
उसे ले कर वह गेम रुम में चली गयीं। साधना ..बताओ क्या बात है ?
“मैम..।”कह कर वह रो पड़ी। टीचर ने आँसू पौंछे और कहा डरो मत …
तब साधना ने हिम्मत कर सब बताते हुये कहा ।” अभी आफिस में बुलाया है ”
हम्म …चलो प्रिंसिपल के कक्ष में। स्वयं को शिक्षक कहते हैं.।।गुरू की मर्यादा तक नहीं समझते। जमीर तो मर ही गया है इनका। पहले भी सुना था इनके बारे में….आज पता चलेगा कि इज्जत किसे कहते हैं।” टीचर क्रोध से तमतमाती साधना को लेकर प्रिंसिपल के कक्ष की ओर बढ़ चुकी थीं।
मनोरमा जैन पाखी