विषय-तिरंगे में लिपटा शहीद।
विषय-तिरंगे में लिपटा शहीद।
तिरंगे में लिपटा जब शहीद आता है।
दिल में गर्व भी,दर्द भी,
और आँखों में अश्क दे जाता है।
बिलखती माँ,रोती पत्नी,
बहन का कलेजा चीर-चीर जाता है।
त्यागता अपना जीवन, अपने प्यारे देश के लिए।
सबकी सुख की नींद के लिए,
जागता अपने देश के लिए।
तिरंगे के तीन रंगों के लिए,अपने लहू का रंग बहाता है।
शहीद होते-होते भी बस,
देश को ही चाहता है।
तिरंगे में लिपटा शहीद,
देश पर जान कुर्बान करता है।
अपनी जान से ज्यादा,
देश का सम्मान करता है।
धरती माँ के लिए शहीद,
कर जाता सूनी गोद अपनी माता की।
भूल जाता अपना परिवार भी,करता रक्षा अपनी धरती माता की।
रोती राखी, होता सूना रक्षा बंधन।
भाई की याद में सिसकती बहना,
तड़प-तड़प जाता बहन का मन।
सरहद पर गया था भाई,
आया,”तिरंगे में लिपटा शहीद।”
बिन प्यारे भाई के न भैया दूज और न ईद।
कहे बहना,”मेरे भाई ने गर्व बढ़ाया है।”
आ गया मेरा भाई;
“तिरंगे में लिपटा शहीद आया है।”
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess Panwar
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78
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