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22 Feb 2024 · 1 min read

विषय-जिंदगी।

विषय-जिंदगी।

अ मेरी जिंदगी,मेरी जिंदगी में आकर;जिंदगी सीखा गए।
गमों के अँधेरे बादलों में, जैसे चाँद दिखा गए।

मेरी जिंदगी बनकर,मेरी जिंदगी से न जाना।
अ मेरी जिंदगी न कभी, मुझसे रूठ जाना।

मेरी जिंदगी हो तुम,मेरी आस हो।
मेरी हर पहली और आखरी प्यास हो।

तुम से हर सपने का आगाज है,अंजाम है।
अ जिंदगी तुम से ही, शुरू हर सुबह और खत्म हर शाम है।

थी ख़ुद से ही नाराज मैं, एक तड़प थी जिंदगी।
तुम ने तो सीखा दी ,
खुद की भी बंदगी।

सोचने लगी मैं अब,
हर जिंदगी कि खुशी।
न रही जिंदगी अब ख़ुदकुशी…।
हासिल जिंदगी की अब, है मुझे हर खुशी।

मेरी जिंदगी की ऐसी जरूरत हो तुम…।
रूठने पर भी मनी हुई मूरत हो तुम।

भूले तुम भी,”मैं”
की जिंदगी।
भूली मैं भी ,
“मैं” की जिंदगी.
प्यार की धड़कन बनी जिंदगी।
जिंदगी अब बनी बन्दगी।
जीने लगे अब हम “हम” की जिंदगी.
पहले थी जिंदगी सिर्फ सांसे…,
अब जिंदगी बनी “जिंदगी़”।

प्रियाप्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78

1 Like · 30 Views
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