विषय: असत्य पर सत्य की विजय
विषय: असत्य पर सत्य की विजय
राम कहे सीता से हे प्रिय!
सच-सच बतलाना
क्या रावण ने कोई दूर्व्यवहार किया
या अपशब्द कोई तुमको कह डाला।
डरो नहीं है प्रिय तुम!
निर्भय होकर बात कहो है !
सीता क्या हुआ साथ तुम्हारे
कोई छल- कपट उसने किया ।
हे मेरे प्रभु श्री राम!
तुमसे क्यों मैं झूठ कहूॅं
तुम तो हो सर्वज्ञाता
फिर तुमसे क्यों बात छुपाऊं।
न जाने किस मंशा से
हरण किया उसने मेरा
तुम हो जग के दाता
तुम जानो हर उसकी हर व्यथा ।
अपनी दिव्य शक्ति से पता लगाओ!
क्यों रावण के मन में
जागा था यह कुविचार
ज्ञानी ध्यानी होकर भी
क्यों कर बैठा ऐसा दुर्व्यवहार
सोच के उसकी कुमति को
उस पर है करते सब धिक्कार!।
हे सीता यह कालचक्र है !
नहीं दोष कुछ उस ज्ञानी का
ऐसे ही होना था विनाश लंका का
भाई को भाई के विरुद्ध होना था
संकट मोचन को यह संकट हरना था।
रावण जैसी कुमति ना हो किसी की
छल, कपट, द्वेष, मोह को दूर भगाता
असत्य पर सत्य की विजय को दर्शाता
पर्व दशहरे का इसलिए मनाया जाता है।
हरमिंदर कौर,
अमरोहा (यूपी)