विश्व गुरु भारत
विश्व गुरु बन भारत ने, जग को राह दिखाय।
प्रेम एकता से रहो, सबको पाठ पढ़ाय।।
ऋषि मनीषियों की वाणी, वेद करें बखान।
भारतीय संस्कृति का, होत उच्च सम्मान।।
शून्य दिया भारत देश, जग को गणना आय।
नैनो पिको टैरो सब, जग भारत से पाय।।
भारत की मर्यादा तो, जग में पूजी जाय।
मातु पितु गुरु चरनन में, श्रद्धा शीश झुकाय।।
होय पूजा नदियों की, माता कह के बुलाय।
जीवन दाता अन्न जल, पूजे जो जिलाय।।
आयुर्वेद की माटी, सबका है उपचार।
कोरोना हो चाहे, कोई रोग अपार।।
विश्व गुरु बन भारत ने, दियो योग का ताज।
स्वस्थ सुंदर होय काया, उम्र बढ़ाये आज।।
सत्य अहिंसा के पथ का, भारत करे प्रचार।
सर्वहितों की भावना, और सात्विक विचार।।
नैतिकता को ताखे रख, अध्यात्म को अपनाय।
वसुधैव कुटुम्बकम को, मुख्य मुद्दा बनाय।।
जब कभी पापी बढ़े, लेवे प्रभु अवतार।
उपदेश देकर जग को, सबका करें उद्धार ।।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.