विश्व कविता दिवस मुक्तक
रतिरुप छन्द
मुक्तक
2212 2212 2212 22
नदियों तरह जलधार में कल कल बहे कविता।
चलती हवा जब मस्त तो सरगम कहे कविता।
कविता कभी भी विश्व में अब लुप्त ना होगी,
जब तक रहे धरती गगन जिंदा रहे कविता।
अभिनव मिश्र अदम्य
रतिरुप छन्द
मुक्तक
2212 2212 2212 22
नदियों तरह जलधार में कल कल बहे कविता।
चलती हवा जब मस्त तो सरगम कहे कविता।
कविता कभी भी विश्व में अब लुप्त ना होगी,
जब तक रहे धरती गगन जिंदा रहे कविता।
अभिनव मिश्र अदम्य