विश्वास
विश्वास
आँखों से छलकता है ,
दिल में धड़कता है ,
रिश्तों में जकड़ता है ,
अपनों को पकड़ता है ,
विश्वास ! विश्वास !…
धोखों से बचता है ,
सत्य को जिताता है ,
सपनों को सजाता है ,
कल्पनाओं को उडाता है ..
विश्वास !विश्वास !…
जीना सीखता है ,
मुश्किलों से उभारता है ,
अनहोनी को टालता है ,
लड़खड़ाते कदमों को संभालता है …
विश्वास ! ……
जीवन को प्यार ,उत्साह ,उमंग से भर देता है ,
विश्वास …….एक अटूट विश्वास !
गर टूट जाए तो …
नहीं होता फिर विश्वास …
ख़त्म कर है जीवन की उम्मीद ,रंग और तरंग …. अविश्वास
‘अ’ उपसर्ग जुड़ने से बनता है अविश्वास…..