विश्वास बेच देते हैं
गरीबों के छप्पर की घास बेच देते हैं
वो अपनेपन का अहसास बेच देते हैं
खनक सिक्कों की ऐसे भा गई यहाँ सबको
कि पैसों के खातिर विश्वास बेच देते हैं
©
शरद कश्यप
गरीबों के छप्पर की घास बेच देते हैं
वो अपनेपन का अहसास बेच देते हैं
खनक सिक्कों की ऐसे भा गई यहाँ सबको
कि पैसों के खातिर विश्वास बेच देते हैं
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शरद कश्यप