विश्वामित्र राम संवाद (पंच चामर,चामर छंद )
विश्वामित्र राम संवाद
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पंच चामर छंद 16 वर्ण
ज,र,ज,र,ज,गुरू
सचेत हो समेत भ्रात रात रात जागके,
किया विशेष कार्य राम आप धर्म बाढ़ का।
डरे डरे रहे मुनी निशाचरों पिटे खपे,
धरा रहा सदैव बोझ शीश पै पहाड़ का।
लगा निशान मार बान सोच दूर है किया,
दिया झराय पात पात पाप युक्त झाड़ का।
मना रहे ऋषी मुनी खुशी प्रदेश में बड़ी,
जहाँ जहाँ सुना पड़ा मरे सुबाहु ताड़का।।
चामर छंद
र,ज,र,ज,र
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जो हुआ सभी अशीष आपका मुझे मिला।
पा गुरू कृपा विशेष फूल कार्य का खिला।
आपके प्रताप ही सुबाहु ताडका मरे ।
आप हैं सहाय दास काल से नहीं डरे ।
जिंदगी नवीन सोच में बडी उमंग है।
आपने जमा दिया सुशीलता का रंग है।
दीखने लगी जमीन,हर्ष से हरी हरी।
दूर दूर दाल ना गले,यहाँ निशाचरी।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
14/1/23