*विश्वरूप दिखलाओ (भक्ति गीत)*
विश्वरूप दिखलाओ (भक्ति गीत)
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आज हमें हे केशव अपना, विश्वरूप दिखलाओ
(1)
हमें बताना यह पूरा ब्रह्मांड तुम्हारी माया
प्रतिपल-प्रतिक्षण नष्ट हो रही जग की नश्वर काया
जो आया इस जग में उसका,उदय-अंत समझाओ
(2)
जन्म-मरण के फेरे में हम, फॅंसे हुए कहलाए
तुम सागर-हम बूॅंद समझ कुछ, कहॉं भेद यह पाए
हमें दान दो दिव्य-दृष्टि का, अपने निकट बुलाओ
(3)
भय लगता है बीत न जाए जीवन ज्ञान न पाया
पग-पग पर ही जग में फैली, माया ने भरमाया
अंतिम क्षण आने से पहले, प्रभु मन में बस जाओ
(4)
निराकार हो तुम लेकिन, साकार रूप में आना
हों अनंत मुख-बॉंहें जिसमें, उस विराट को लाना
सिद्ध-संघ सब देवगणों के, दर्शन परम कराओ
आज हमें हे केशव अपना, विश्वरूप दिखलाओ
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451