विशेषज्ञ अधिकारी
पड़ता है कितना भारी,
होना बैंक में विशेषज्ञ अधिकारी।
उस पर कार्य का भार देखिये,
कार्यक्षेत्र का विस्तार देखिये।
जनरल अधिकारी पर सिर्फ बैंकिंग के काम का भार,
विशेषज्ञ अधिकारी पर दोहरी मार।
यद्यपि वह रखे चाहे वही एक सिर दो हाथ,
परन्तु बैंकिंग तथा विषय विशेष देखेंगे साथ-साथ।
जब कोई ‘लाभ’ की बात हो तो विशेषज्ञ होना आता है आड़े,
परन्तु काम करते रहना है चाहे गर्मी हो या जाड़े।
‘लाभ’ के नाम पर है सिर्फ उस का विशेषज्ञ होना,
और बिना ईच्छा के निरंतर फसल बोना।
उच्च स्केल में औफिसेयेट नहीं करेगा विशेषज्ञ अधिकारी,
यहाँ तो जनरल ऑफिसर की आती है बारी।
धृतराष्ट्र का अंधापन और विशेषज्ञ अधिकारी का विषय विशेष,
श्रेणी एक ही लगती है यद्यपि हैं विभिन्न परिवेश।
कैसी विडंबना है …….
पांडु जब पिकनिक पर जाता है,
तो धृतराष्ट्र कार्यभार संभाल पाता है।
पर जब पांडु की जगह हो स्थायी रूप से रिक्त,
तो धृतराष्ट्र को कार्यभार देना नहीं लगता उचित।
अब वह काम नहीं देख पायेगा,
अब उसका अंधापन आड़े आयेगा।