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5 Aug 2021 · 1 min read

विवेक जागरण

प्रेम आराधना और साधना, होती नहीं एक समान,
एक समर्पण दूजे अर्पण, नहीं हाथ कोय कमान.
.
जग घूमे देखे पंचधाम,चूके एक गंगा स्नान,
सब पत्थर पलटे,चूके एक पाहन बे जुबान,
.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 492 Views
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