#विरोधाभाषी परिभाषाएं
?? विरोधाभाषी परिभाषाएं ??
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वो दाता हम दीन हो गए, ज्यों भारत को चीन हो गए।
रसगुल्लों के बीच सड़ी-सी, हम कड़वी नमकीन हो गए।
वो दाता हम दीन हो गए….
पथदर्शक जिनको माना था, आज वही पथहीन हो गए।
जप-तप छोड़ तपस्या कामी, राग-द्वेष लवलीन हो गए।
कालनेमि के वंशज सारे, ज्ञान-बुद्धि खो बैठे अपनी।
चित्र-चरित्र बिगाड़े क्यों अब, क्या महंगे कोपीन हो गए।
वो दाता हम दीन हो गए…..
संस्कार-संस्कृति भी धूमिल, चहरे आज मलीन हो गए।
फिल्मकार कवि लेखक सारे, सहिष्णुता की बीन हो गए।
महिलाओं पर गाज गिरी है, चोटी कट जातीं रातों को।
निर्मल राम-रहीम प्रदूषित, वर्णशंकरी जीन हो गए।
वो दाता हम दीन हो गए…..
कर विश्वास जिन्हें सत्ता दी, घर भरने में लीन हो गए।
ऊँचे पद जिनको बैठाया, वे असुरक्षित दीन हो गए।
राजनीति के नागनाथ सब, सांपनाथ हो डसें देश को।
सत्तामद में चूर संपोले, रिपुओं के आधीन हो गए।
वो दाता हम दीन हो गए…..
चोर उचक्के ठग व्यभिचारी, दौलत जोड़ कुलीन हो गए।
सत्ता का संग पाकर इनके, सुर औ ताल महीन हो गए।
मौका पाकर लूट रहे हैं, देश समझ जागीर बाप की।
जिन कुकुरों को द्वार बिठाया, वो गांधी के तीन हो गए।
वो दाता हम दीन हो गए, ज्यों भारत को चीन हो गए।
रसगुल्लों के बीच सड़ी-सी, हम कड़वी नमकीन हो गए।
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? तेज ✏मथुरा✍