विरासत में मिले संस्कार का विस्तार
बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ विषय पर एक विशेष लघु फिल्म ‘ताई की तकरार’ में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले और हरियाणवीं एलबम ‘काच्चा टमाटर’ का निर्देशन करने के साथ-साथ इस अलबम के आठ गीतों में से सात में अभिनय करने वाले देवांश खिंच्ची आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इनमें अभिनय और कला का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है। कलरात को रिलिज हुई इनकी एक विशेष लघु फिल्म ‘प्राइस आॅफ वन आवर’सामाजिक सद्भावना से ओत-प्रोत है।
‘मां पर पूत पिता पर घोड़ा, बहुत नही ंतो थोड़ा-थोड़ा’ यह उक्ति कोंट रोड़ भिवानी निवासी आनंद प्रकाश ‘आर्टिस्ट’ एवं सुनीता आनन्द के ज्येष्ठ पुत्र देवांश ख्ंिाच्ची पर सटीक बैठती है। साहित्यकार एवं कलाकार माता-पिता की तरह देवांश को भी बचपन से ही अभिनय का शौक रहा है। अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान देवांश जब भिवानी के वैश्य माॅडल स्कूल की छठी कक्षा के छात्र थे, तब इन्हें इनके पिता श्री आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट द्वारा लिखित नाटक ‘बेटी की बात’ में भाग लेने का अवसर मिला। यह नाटक ज़िला प्रशासन द्वारा आयोजित स्कूली बच्चों की नाट्य प्रतियोगिता में ज़िला स्तर पर प्रथम रहा। इस नाटक में देवांश का अभिनय इतना दमदार था कि भिवानी के तत्कालीन उपायुक्त, श्री मोहिंद्र कुमार ने टीम को 5100 रुपए का नकद पुरस्कार देने के साथ-साथ बाल कलाकार के रूप में इनके अभिनय की भी तरीफ की। बाल कलाकार के रूप में माननीय उपायुक्त महोदय से प्रशंसा पाने के बाद देवांश ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
छठी कक्षा में पढ़ने के दौरान ही देवांश ने बाल कलाकार के रूप में दूरदर्शन पर पहली बार ड्रामा आर्टिस्ट के रूप में आॅडिशन दिया था और पहली ही बार में उसे सफलता मिल गई। 15 अक्टूबर 2006 को दूरदर्शन हिसार द्वारा आयोजित नाट्य कलाकार स्वर परीक्षा पास करके दूरदर्शन हिसार का अनुमोदित ड्रामा आर्टिस्ट बनने के बाद 4 सितंबर 2009 को आकाशवाणी रोहतक पर भी देवांश ने नाट्य कलाकार के रूप में स्वर परीक्षा दी और यहाँ भी उसे पहले ही प्रयास में सफलता मिली। आकाशवाणी रोहतक से नाटक की स्वर परीक्षा पास करने के बाद देवांश ने आकाशवाणी रोहतक के कई नाटकों में भाग लिया। इनमें से रविन्द्र नाथ टैगोर की कहानी पर आधारित नाटक ‘विसर्जन’ एक ऐंसा नाटक था, जिसमें देवांश और उसके पिता आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट ने एक साथ अभिनय किया था। प्रसंगवश यह बताते चलना आवश्यक है कि देवांश के पिता श्री आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट आकाशवाणी रोहतक के ‘बी हाई’ ग्रेड में अनुमोदित ड्रामा आर्टिस्ट हैं और इनकी माता श्रीमती सुनीता आनन्द भी रेडियो की कवयित्री एवं वार्ताकार तथा मंच की कलाकार हैं। देवांश के दादा श्री जयलाल दास भी लोक साहित्यकार व कलाकार रहे हैं। अतः कहा जा सकता है कि देवांश ने विरासत में मिली अभिनय व लेखन प्रतिभा को विस्तार दिया है।
देवांश खिंच्ची ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ विषय पर बनी पहली हरियाणवी लघु फ़िल्म ‘ताई की तकरार’ में सूत्रधार की भूमिका निभाने के साथ-साथ इस फ़िल्म के लेखक-निर्देशक आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट के सहायक के रूप में भी काम किया है। देवांश के पिता श्री आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट फ़िल्म राईटर एसोसिएशन मुम्बई के रेगुलर मेम्बर हैं, तो देवांश फैलो मेम्बर हैं। इन्होंने अभिनय के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक एवं राष्ट्रीय चेतना विश्यक कविताएं भी लिखी हैं। कुछ लघु फ़िल्मों के आलेख भी लिखे हैं जिन पर अभी काम होना बाकी है। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ विषय पर इनकी कविताएं दूर-दर्शन हिसार द्वारा इस विषय पर प्रकाशित बृहद् संकलन में प्रकाशित हो चुकी हैं। इसी संकलन से चयनित कलाकारों को लेकर दूरदर्शन हिसार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ पर एक विशेष कार्यक्रम प्रसारित किया था। मज़े की बात यह है कि इस कार्यक्रम में भी देवांश को ख्यातनाम कवियों के साथ अपना काव्य पाठ प्रस्तुत करने का अवसर मिला था। अलावा इसके देवांश ने अनिल शर्मा ‘वत्स’ की हरियाणवीं अलबम ‘काच्चा टमाटर’ का निर्देशन करने के साथ-साथ इस अलबम के आठ गीतों में से सात गीतों में बतौर एक्टर काम भी किया है। इस एलबम में कुल 8 गीत ‘मेरै गैल- गैल क्यूं हांडै छोरे’, ‘मेरा रोज का आणा जाणा’, ‘इतना बड़ा यो जुल्म ना करिये’, ‘चाल कसूती चालै’, ‘तू खड़ी-खड़ी के देखै’, ‘बिन बोले हम समझ गए’,‘तू मेरे सपनों की रानी’ और ‘तेरी इस तिरछी नज़र नै कमाल कर दिया’ हैं। इस अलबम से इन्हें काफी प्रसिद्धि मिली।
रेडियो और टी.वी. के अलावा देवांश ने हिसार के विख्यात रंगकर्मी एवं नाट्य निर्देशक लोकेश मोहन खट्टर(कलाकार दंगल फिल्म) द्वारा निर्देशित ‘औरंगजेब की आखरी रात’ के अलावा देवांश ने मंच पर अब तक कई नाटकों में काम किया है।
काॅलेज की पढ़ाई के दौरान देवांश ने अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान शुरू किए अपने अभिनय को तो जारी रखा कर ही, साथ ही काॅलेज स्तर अपनी शोध व लेखन प्रतिभा का भी परिचय दिया। उल्लेखनीय है कि काॅलेज स्तर पर बतौर विज्ञान छात्र देवांश ने अपना पहला शोध-पत्र ‘एनवायरमेंट एंड टेक्नोलोजीः अ रिलेशन’ शीर्षक से यू.जी.सी. के सौजन्य से एपीजे सरस्वती कन्या स्नात्कोत्तर महाविद्यालय चरखी दादरी में 23 नवंबर 2013 को ‘चेंजिग एनवायरमेंटः अ ग्लोबल कंसर्न’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत किया। इसके अलावा देवांश ने स्थानीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में समय-समय पर भाग लिया और संस्थाओं की ओर से प्रशंसा-पत्र प्राप्त किए हैं।
विगत ग्रीष्मावकाश के दौरान मुम्बई भ्रमण के दौरान विभिन्न स्टुडियो में देवांश ने शौकिया तौर पर आॅडिशन दिए थे, मुम्बई से लौटने के बाद इनमें से बहुत से फ़िल्म निर्माताओं की ओर से इनके पास फ़िल्म व नाटकों में काम करने के प्रस्ताव आए, किन्तु देवांश के लिए अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ना संभव न था इस कारण इन्हंे ये सभी प्रस्ताव ठुकराने पड़े। किन्तु इसी बीच जब जी.टी.वी. आॅनर सुभाष चंद्रा के निर्देशन में जी शूट टीम ने हिसार में अपनी एड फ़िल्म की शूटिंग की तो टीम ने देवांश को आॅफर किया और इन्होंने जी टी.वी. निर्मित एड फिल्म में काम किया।
वर्तमान में देवांश एचएयू हिसार में बीएससी आनर्स के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। अभी यूनिवर्सिटी की तरफ से रावे कार्यक्रम के तहत ‘सेंटर आॅफ एक्सीलेंस फाॅर वेजिटेबल’ घरोंडा करनाल में 2 अप्रैल 2018 से 4 मई 2018 को इन्होंने अपनी इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग पूर्ण की है। इस ट्रेनिंग के पूरा होते-होते इनके द्वारा अभिनित एक लघु फ़िल्म ‘प्राईस आफॅ वन आॅवर’ रिलीज हुई है, जिसमें संदेश दिया गया है कि माता-पिता अपने काम में चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हों उन्हें अपने बच्चों को समय देना चाहिए।
बातचीत में देवांश ने बताया कि वैसे तो इनका प्रमुख लक्ष्य सिविल सर्विस है। कला और अभिनय उनका पेशा नहीं बल्कि एक शौक है, किन्तु जब भी इन्हें फ़िल्म व नाटकों के माध्यम से अपने देस-प्रदेश की संस्कृति की रक्षा को लेकर कुछ करने का अवसर मिलेगा यह करेंगे। इन्होंने बताया कि सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना पर आधारित नाटकों, गीतों और फिल्मों में काम करना इन्हें अच्छा लगता है। अपने देश-प्रदेश की संस्कृति को ठेस पहुँचाने वाले फूहड़ता से लबरेज गीतों और फिल्मों से इन्हें परहेज है।
– विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
तोशाम जिला भिवानी
हरियाणा-127040