विरह गीत
1222 1222 1222 1222
गये तुम छोंड़कर तनहा जुदाई सह नही सकता।
बिना तेरे हमारा दिल कहीं भी रह नही सकता।
तुम्हारी बेरुख़ी को जो समझ पहले कभी जाते।
न यूँ बेचैन होते हम न आँसू आँख में आते।
बड़ा मजबूर दिल है कुछ किसी से कह नही सकता।
बिना तेरे हमारा दिल कहीं भी रह नही सकता।
लगाकर तोहमतें झूठी किया रूसबा ज़माने में।
मिले हैं दर्द कितने ही तुम्हारा प्यार पाने में।
मगर गम अश्क़ आँखों से हमारी बह नही सकता।
बिना तेरे हमारा दिल कहीं भी रह नही सकता।
मौलिक एवं स्वरचित
अभिनव मिश्र अदम्य
शाहजहाँपुर, उ.प्र.