विरले ही संवेदनशील
आधुनिकता की चकाचौंध में
मानवता शून्य हो गयी,
स्वार्थ वश अहंकार से
संवेदना शून्य हो गयी,
दिखावेपन में आजकल
विवेकहीन हो गयी,
जल्दबाजी से पाने में
अधैर्य पूर्ण हो गयी,
मगर बचा है कहीं-कहीं किसी के
संवेदना के भाव मन में ,
दयालु प्रवृत्ति उदार कर्म,
विरले है मानव मिलते अति जतन।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान