विनोद सिल्ला की कुंडलियां
कुंडलियां
राज भले हो किसी का, थे रामविलास वजीर|
लो. ज. पा. दल बना गए, नेता धीर गंभीर||
नेता धीर गंभीर, उपनाम पासवान था|
वंचित का कल्याण, करने पर ही ध्यान था||
कह सिल्ला कविराय, उनका था सौम्य मिजाज|
जाते भांप हर करवट, सदा करते रहे राज||
-विनोद सिल्ला©