विनोद सिल्ला की कुंडलियां
कुंडलियां
आलू पचास हो गये, प्याज हुआ सौ पार|
टमाटर बड़ा लाल है, करता है तकरार||
करता है तकरार , बने कैसे तरकारी|
बंद पड़े सब काम, बेरुखी है सरकारी||
कह सिल्ला कविराय, ठगे चालू से चालू|
सेठ करे भंडार , तभी से गायब आलू||
-विनोद सिल्ला©