विनोद सिल्ला की कुंडलियां
पहले पैरों में पड़ें
पहले पैरों में पड़ें, फिर फेरें ये आंख|
चुनाव की रणनीति में, गिर जाए चाहे साख||
गिर जाए चाहे साख, तिकड़म हजार लड़ाएं|
शर्म हया सब त्याग, ये करामात दिखाएं||
कह ”सिल्ला” कविराय, चलाएं नहले-दहले|
वायदे गये भूल , किए थे जो भी पहले||
-विनोद सिल्ला©