विनोद बाबू की जयंती पर कविता ।
विनोद बाबू की क्या जुबानी है।
उनकी वाणी में गरज और क्रांतिकारी है।
आज भी अमर उनके शब्द की वाणी है।
“लड़ना है तो पढ़ना सीखो”
यह सिख हमें सिखलाती है।
हमारी शिक्षा ही हमारी लाठी है।
झारखंड राज हमारी जानों से भी प्यारी है।
ये जुनून झारखंड वासियों में लाने वाले बिनोद बिहारी महतो बाबू हैं।
झारखंड आंदोलन संगठन इतिहास के
महानायक अमर मसीहा और झारखंड
वासियों के दिलों में आज भी जिंदा है।
उनके शब्द तभी तो लागू भेलो 1932
खतियान झारखंड जोहार।।
(झारखंड के कोख में जन्मने वाले 23 सितंबर सन 1923 ई. स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो के जयंती पर शत-शत नमन।)