विनती
विनती
हनुमत विनती दीन की , सुनिए नाथ जरूर।
रोग, शोक ,भय ,दीनता , करिए चकनाचूर।।
करिए चकनाचूर , जन्मदिन आज तुम्हारा ।
चहुंदिश हाहाकार , जगत दिखता बस हारा।
रामभक्त है वीर , मनोरथ लगता आहत ।
सुनिए आज जरूर ,दीन की विनती हनुमत ।।
सतीश पाण्डेय