” विधार्थी बनू तखने ….सम्पूर्ण बनब “
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
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इ कहनाइ अबूह बुझाइत अछि जे हमहींटा मैथिली ठोसगर बजैत छी ! सब गोटे बजैत छथि आ लिखबो करैत छथि ! परंच इ जुनि बुझल जाऊ कि आहां कें कियो परखता नहि कि आहां कोन माटि -पानि सं जुडल छी ! आहांक जाइठ मिथिलाक मध्य पोखरि मे गाडल अछि वा इम्हर-ओम्हर ?
कहलो गेल अछि ‘ कोसे -कोसे भाषा अपन स्वरुप बदलैत अछि ‘ ! कलकत्ताक बंगला भाषाक माधुर्यता आन क्षेत्र मे सुनब असम्भव अछि ! तहिना हमरा… सब भाषा मे इ बात भेटैत अछि ! …
देखू !……..कोनो व्यक्ति एहि जीवन मे सम्पूर्ण नहि मानल जा सकैत छथि तथापि हमरा सिखवाक प्रयास निरंतर करवाक चाही ! उपयुक्त शब्दक संचय आ तकर उपयुक्त प्रयोक हमरा लोकनि कें सम्पूर्णता दिश ल जा सकैत अछि !
…रहल बात शुद्ध उच्चारण आ जिव्हा कें घुमेनाय त आहां कें गामक परिवेश मे रहय पडत आ नेना -भुटका,बूड़- पूरान लग बैसि हुनक भंगिमा कें सिखय पडत ! विद्यार्थी बनू तखने …….सम्पूर्ण बनब !
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका