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19 Mar 2020 · 12 min read

विधायक जी मीटिंग में हैं

“विधायक जी मीटिंग में हैं” पी ए ने बताया…..आज कई दिनों से वो विधायक जी से मिलने की कोशिश कर रहा था किन्तु हर बार मुआ पी ए यही जवाब देता था… इसके अलावा रैली,उद्घाटन और सामाजिक कार्यक्रमों में ही विधायक जी दिखाई देते थे। वहाँ भी उसने कई बार मिलने का प्रयास किया…..हर बार एक ही जवाब “अभी व्यस्त हैं……आवास पर आना…..आपका काम हो जायेगा। आवास पर भी बाहर खड़े सुरक्षाकर्मी बता देते थे “विधायक जी मीटिंग में हैं……बाद में आना” आखिरकार घंटो इंतजार के बाद वो मायूस होकर वापस लौट जाता।
अभी वो उधेड़बुन में खड़ा ही था कि विधायक जी का वर्तमान ख़ास आदमी दिखाई दिया । वो दौड़कर उसके पास पंहुचा और डरते-डरते बोला “भैया जी, विधायक जी से मुलाकात करवा दो।” भैयाजी ने घूर के ऐसे देखा जैसे कि उससे कोई अपराध हो गया हो। वो सहम गया और हाथ जोड़कर माफ़ी मांगने की मुद्रा में आ गया। शायद भैया जी को दया आ गयी और उन्होंने भी वही उत्तर फेंक कर मारा ” विधायक जी मीटिंग में हैं । जाओ बाद में आना” उसने धीरे से कहा “भैया जी उनसे आप बता दो सरवैया गाँव का ननकू पासी आया है….वो मुझे जानते हैं…..वोट मांगने आये थे तो हमारा पैर भी छुआ था….हम तो अपने हिस्से की रोटी भी उनको खिलाये थे । भैया जी इतना रहम कर दो उन्हें याद आ जायेगा”
अब भैया जी का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया”अबे पागल हो गया है क्या….अब तो कह दिया दुबारा न कहियो वर्ना खाल खींच ली जाएगी”
ननकू को भी न जाने क्यों आज गुस्सा आ गया “देखो भैया जी …… हम हरियाणा से केवल विधायक जी को वोट देने आये थे …..सोचा था अच्छे आदमी हैं आड़े वक़्त काम आयेंगे मगर वो पी ए और आप जैसे लोग खुद ही विधायक बन जाते हो। विधायक जी को एक बार पता चल जाये की ननकू आया है…..तो सच कहता हूँ दौड़ के आयेंगे…..मगर आप लोग बताओ तब न!”
भैया जी घोर आश्चर्य से उस बेहद आम आदमी को बोलते हुए देख रहे थे…….किन्तु आज वो उन्हें न जाने क्यों खास जान पड़ रहा था।
उन्होंने ननकू के कंधे पर प्यार से हाथ रखा और बोले” देखो ननकू भाई ,जो दिखता है वो अक्सर राजनीति में नहीं होता। आओ मैं तुम्हे सच्चाई बताता हूँ”

भैया जी उसे चाय की दुकान पर ले गए और चाय वाले को दो चाय का आर्डर देकर वहीँ पड़ी टूटी बेंच पर बैठ गए। फिर ननकू से बोले ” देखो ननकू भाई, अगर तुम ये सोच रहे हो कि ये पी ए और मेरे जैसे लोग तुम्हे विधायक जी से नहीं मिलने दे रहे तो……तुम एकदम गलत सोच रहे हो….”
तभी बीच में चाय वाला चाय लेकर आ गया। उसे पास आते देख भैया जी चुप हो गए। ननकू आश्चर्य से भैया जी का मुँह ताक रहा था। भैया जी ने चाय की चुस्की ली और फिर ननकू से मुखातिब हुए “मुझे पता है तुमने विधायक जी को कई बार फ़ोन भी किया है और हर बार पी ए ने कॉल रिसीव किया किन्तु एक बात ये भी जान लो कि मोबाइल विधायक जी की मेज पर उनकी आँखों के सामने ही रहता है।”
चाय की घूँट गटकते हुए ननकू बोला ” का बात कर रहे हैं भैया जी….अगर ऐसा होता तो विधायक जी मुझसे जरूर बात करते…..आपको शायद नहीं पता….विधायक जी के मोबाइल में मेरा नंबर लिखा है….और हाँ नाम भी लिखा है…अरे भैया जी ,चुनाव के पहिले विधायक जी रोज फ़ोन करत रहें और जानत हो का कहत रहें…”
तिरछी नजर से भैया जी के चेहरे का भाव पढ़ते हुए ननकू बोला।
भैया जी ने उसकी ओर बिना देखे ही प्रश्न किया ” का कहत रहें ?”
तब तक ननकू चाय पी चुका और कुल्हड़ को खीचकर एक कुत्ते को दे मारा। कुत्ता उसकी इस वाहियात हरकत पर भौचक रह गया और कूँ कूँ करते दूसरी तरफ जाकर बैठ गया।
ननकू की इस हरकत पर भैया जी मुस्कुरा पड़े। उनको मुस्कुराते हुए देख ननकू भी मुस्कुराने लगा और बोला” भैया जी , हम गरीबों का हाल भी इसी कुत्ते की तरह है जिसे देखो वही बेवजह पत्थर मारकर चला जाता है । अब आप विधायक जी को ही लीजिये…..चुनाव के पहिले रोज फ़ोन करके यही कहते थे की ननकू हमारी इज्जत का सवाल है । तुम्हारी बिरादरी का वोट चाहिए। अब तुम्ही मेरे भगवान हो…अगर हारे तो जान से चले जायेंगे ननकू…और सब तुम पर आएगा। तुम्ही मेरे माई बाप ….जो जरूरत हो बताओ …मैं सब कुछ दूंगा तुम्हे,बस मुझे विधायक बनवा दो ।”
इतना कहकर ननकू ने बीड़ी निकाली और होंठों में फँसाकर माचिस की तीली बड़ी स्टाइल से जलाई और बीडी में आग लगाने लगा।
भैया जी को अब ननकू का कैरेक्टर दिलचस्प प्रतीत होने लगा….उन्होंने पूछा ,”फिर क्या हुआ?”
ननकू ने नाक की भट्ठी से धुआं उगलते हुए कहा,”होना क्या था भैया जी….लग गए जी जान से….बिरादरी की मीटिंग बुलवाई….उन्हें विधायक जी से मिलवाया….अब गाँव की बिरादरी में इतनी पैठ तो थी ही की एकौ वोट इधर-उधर नाही भवा और विधायक जी को धमाकेदार जीत मिली । अब आप खुद बताओ की विधायक जी को मुझसे बात करनी चाहिए कि नहीं?”
” ह्म्म्म बात तो करनी चाहिए मगर…..”
ननकू उनकी बात बीच में ही काट कर बोला ” जाने दीजिये भैया जी , मैं सब समझ गया …. वो क्या समझते हैं ….उनके न मिलने पर ननकू का कोई नुकसान हो जायेगा…अगर ऐसा सोच रहे हैं तो भरम में जी रहे हैं वो….”
कुछ रुककर वो बोला
” जानते हो भैया जी मुझे अफ़सोस क्या है?”
लगातार दिलचस्प होते जा रहे इस किरदार के प्रश्न पर अनायास ही भैया जी को प्यार आने लगा ।
“क्या अफ़सोस है ?”
ननकू जमीन की मिट्टी अपने पैर के नाखून से कुरेदते हुए बोला,” बस यही कि ये भी सबके जैसा निकला…..किन्तु इसका अपराध ज्यादा है?”
भैया जी ने गंभीर मुद्रा में ननकू को देखा और बोले,” क्यों भाई?”
अचानक ननकू की आवाज में नमी आ गयी
“इसने धोखा दिया…..मुझे और मेरे माध्यम से मेरी बिरादरी को और साथ ही सारे समाज को….भैया जी ये आदमी एकदम से बदल गया है…..इनकी कई पोल मुझे पता लगी है …..”
कहते-कहते ननकू चुप हो गया ।
भैया जी को उसका चुप होना नागवार गुजरा । उन्होंने पूछा ,”कैसी पोल?”
“कुछ नहीं भैया जी, चलता हूँ मैं”
संदेहपूर्ण दृष्टि से भैया जी को देखते हुए ननकू ने अपना गन्दा झोला कंधें पर डाला और निकल पड़ा….
भैया जी उसे तब तक देखते रहे जब तक कि वो आँखों से ओझल नहीं हो गया।
अचानक उनके मुख से निकला
“अब तो विधायक जी को तुमसे मिलना ही पड़ेगा।”

सरवैया गाँव का एक घर…मिट्टी का….और ऊपर फूस का छप्पर,…मिट्टी की दीवार पर बनी बड़ी सी आलमारी में एक छोटा सा दिया टिमटिमा रहा है….जिसमे केवल आलमारी ही दिख रही थी
पास में ही एक टूटी-फूटी सी चारपाई पड़ी है ,जिस पर लगभग बीस वर्ष का एक अधेड़ सा युवक लेटा हुआ है…..वह बार-बार खांस रहा है….
उसके सिर के पास लगभग चालीस वर्ष की एक औरत मैली सी धोती पहने बैठी है जिसके कई छिद्र अँधेरे की वजह से नहीं दिखाई दे रहे…..दीपक भी रोशनी देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा….
वो औरत उस युवक के सिर को सहला रही है….तभी अचानक तेज खांसी आती है और वो युवक उठकर बैठ जाता है और…..चीखता है
“अम्मा…अम्मा….अम्मा….
वो औरत उसे अपनी बाँहों में भर लेती है
“हाँ शिवा बेटा,मैं तेरे पास हूँ बेटा….तेरी माँ तेरे पास है ”
और उसे अपने सीने से लगाकर खुद कांपने लगती है
“अम्मा,मैं मरना नहीं चाहता…… मुझे बचा लो अम्मा ,मुझे बचा लो”
इतना कहकर वो युवक रोने लगता है
तभी दरवाजे की कुण्डी खटकती है
“चल शिवा लेट जा….शायद तेरे बापू आ गये…दरवाज़ा खोल दूँ।”
शिवा को चारपाई पर लिटाकर वो आलमारी से दीपक उठाती है और दरवाजे की कुण्डी खोलती है।
अंदर ननकू प्रवेश करता है। मैला-कुचैला कुर्ता-पैजामा और गले में एक मैला सा गमछा लपेटे हुए। परिस्थितियों ने उसे समय से पहले ही बूढ़ा बना दिया था। पचास की उम्र में अस्सी वर्ष का दिखता था। अन्दर आकर अपना गंदा सा झोला एक तरफ रखा और सिर लटका कर जमीन पर बैठ गया।
“चलो हाथ-मुँह धो लो मैं तब तक खाना लगाती हूँ”
ननकू धीरे से बोला “भूख नहीं है रे बिट्टो …..आ बैठ मेरे पास”
“अरे हाँ! ऐसा कैसे चलेगा शिवा के बापू? चलो हाथ-मुंह धोकर चुपचाप रोटी खा लो….बाकी बातें बाद में।”
इस बार ननकू ने कोई विरोध नही किया और लोटे में पानी लेकर हाँथ-मुँह धोने लगा।
” का शिवा के बापू…..बूढ़े हो गये हो मगर अकल नही आई…हाँथ-मुँह तो बाहर जाकर धो लेते।”
ननकू शरारत के साथ बोला,” मुझे बूढ़ा बोलकर तू खुद बुढ़िया बन जाती है….और हाँ मैं अभी भी जवान हूँ…चाहे तो आजमा ले।”
” अरे चुप भी करो ….चलो रोटी खाओ” वो शरमाते हुए बोली।
बिट्टो की इसी अदा पर ननकू को प्यार आता था। वैसे तो उसका नाम कमला था किन्तु ननकू उसे प्यार से बिट्टो ही कहकर बुलाता था।
“शिवा की तबियत कैसी है ?” रोटी का कौर बनाते हुए उसने पूछा।
“दिन ब दिन उसकी तबियत बिगडती ही जा रही है जी….आज तो अनाप-शनाप बक रहा था …कह रहा था अम्मा मुझे बचा लो ….मैं मरना नहीं चाहता और न जाने क्या-क्या? अगर शिवा को कुछ हो गया तो मैं भी…”
ननकू उसे दीन-हीन आँखों से देखता हुआ बोला,” तो फिर मैं भी….समझ ले”
कमला का स्वर आंसुओं में भीगकर गीला हो गया,
” शिवा ही तो हमारा सब कुछ है…….अब तो विधायक जी से भी उम्मीद नहीं रही” कमला ने अपने आंसुओं को पोछते हुए कहा।
ननकू चौंक कर बोला,” तुझे कैसे पता चला कि आज भी मैं यूँ ही लौट आया?”
“तुम्हारी पत्नी हूँ जी….तुम्हारा चेहरा पढना सीख गयी हूँ”
कमला बोली।
“सब मजाक है बिट्टो…मुख्यमंत्री तक से मिल आया….उन्होंने विधायक के पास भेज दिया….विधायक मिलना नहीं चाहता….अब पी जी आई में शिवा को भर्ती कराना मेरे औकात में तो है नहीं…बिट्टो तू भी सोचती होगी कि किससे ब्याह कर लिया तूने….किसी और के साथ अगर तेरा ब्याह….” कमला ने ननकू के मुंह पर हाथ रख दिया और सिसकते हुए बोली,”ऐसा मत बोलो जी….सुख-दुःख तो सब किस्मत का खेल है वर्ना रोज तुम्हारे पास फ़ोन करने वाला ये विधायक ऐसा तो न निकलता….और फिर उसकी भी क्या गलती है…..विधि का लेखा तो वो भी नहीं बदल सकता”
“ये तो मैं भी जानता हूँ बिट्टो मैं तो केवल तसल्ली के लिए जाता हूँ कि शायद कोई चमत्कार उसके ही हाथो लिखा हो। कल मैं जाऊंगा और उसका दिया मोबाइल उसके मुंह पर मारकर आऊँगा….”
ननकू गुस्से में बोला
” न जी ऐसा मत करना…वो बड़े लोग हैं,उनका अपमान हो जायेगा…चलो सोते हैं।”वो समझाते हुए बोली।
अभी दोनों को बिस्तर पर लेटे हुए दस ही मिनट हुए थे कि किसी ने दरवाजे की कुण्डी बजाई।
कमला डरे हुए स्वर में बोली,” क्यों जी…रात के ग्यारह बज रहे हैं, इस वक़्त कौन हो सकता है?”
ननकू उठा और दरवाजा खोलते ही चौंक पड़ा।

उसने देखा कि सामने सफ़ेद लक-दक कुरता पायजामा पहने स्वयं विधायक ठाकुर राम प्रताप जी खड़े हैं ….साथ में भैया जी भी खड़े मुस्कुरा रहे हैं।
मन में बुरे-बुरे ख्याल आ रहे थे …और मन ही मन भैया जी को गाली भी दे रहे थे कि साले ने सब कुछ बता दिया होगा….चमचा कहीं का।
“अरे ननकू भैया कहाँ खो गये” विधायक जी की आवाज सुनकर ननकू की तन्द्रा टूटी
“अरे कमला,देखो तो विधायक जी आये हुए हैं।”
मगर कमला ने तो जैसे सुना ही नहीं।
विधायक जी खुद ही अन्दर आ गये …पीछे-पीछे भैया जी भी….सुरक्षा कर्मियों को बाहर ही रहने को कह दिया गया। विधायक जी के आने की सूचना मिलते ही पार्टी और गाँव के लोग बाहर जुटने लगे थे। सबको अन्दर आने से मना कर दिया गया।
“लग रहा है भाभी जी मुझसे नाराज हैं” विधायक जी ननकू की टूटी खटिया पर बैठ गये।
“अरे नहीं,नहीं बाबू साहेब ।आप बैठिये मैं आता हूँ।” ननकू दौड़ते हुए अन्दर गया।
अन्दर का दृश्य देखकर उसका खून सूख गया
चारपाई पर शिवा हाथ-पैर फैलाये हुए लेटा था….उसकी आँखे पलट गयी थीं। उसके सीने पर उसकी बिट्टो अपना सिर रखकर लेटी थी। आँखें एकटक शून्य में तकती हुई।
ननकू की हृदय गति बढ़ गयी
उसने पुकारा,”शिवा,शिवा बेटा…क्या हुआ तुमको? अरे बेटा बोलता क्यों नहीं?उसने शिवा को पकड़ कर हिलाया….उसका अंदेशा सही निकला। अब वह मुक्ति पा चुका था….बीमारी से,गरीबी से,दुनियादारी से…..
बदहवास सा वह अपनी पत्नी को पकडकर हिलाने लगा “बिट्टो, ऐ बिट्टो उठ देख ये क्या हो गया?देख तो शिवा चला गया हमें छोडकर” जैसे ही उसने कमला को छोड़ा उसका शरीर भी एक तरफ लुढ़क गया….
ननकू ये सब देखकर जड़वत हो गया
उसकी आँखें भी शून्य को तकने लगी
उसे याद आया जब उसकी बिट्टो ने कहा था “शिवा को कुछ हो गया तो मैं भी….”
फिर उसके खुद के कहे शब्द गूंजे”तो फिर मैं भी….समझ ले”
शून्य में तकते-तकते उसकी खुद की चेतना शून्य में विलीन होने लगी। वह धड़ाम से जमीन पर गिरा और….उसने अपनी प्यारी बिट्टो से किया वादा निभा दिया।

अचानक गिरने की आवाज आई तो विधायक जी अन्दर की ओर दौड़े….”अरे ननकू भैया, क्या हुआ आपको….भाभी जी….हे भगवान ये सब क्या हो गया?”
विधायक जी वहीं फूट-फूटकर रोने लगे….भैया जी की भी आँखें फटी रह गयीं। अचानक रोने की आवाज सुनकर अनहोनी की आशंका में सुरक्षाकर्मी अन्दर की ओर दौड़े। किन्तु ये क्या?उन्हें इतना आश्चर्य तीन लाशें देखकर नहीं हुआ जितना कि विधायक जी को रोते देखकर। सबकी आँखों में आंसू आ गये।
सूचना पाकर मीडिया वाले और बड़े-बड़े सारे अधिकारी आनन-फानन में सरवैया गाँव पहुँचे। शांत होने पर गाँव के लोगों ने ननकू की मुख्यमंत्री से मिलने और बेटे की बीमारी के बारे में बताया।बातों-बातों में उन्हें ये भी पता चल गया कि ननकू उनसे क्यों मिलना चाहता था? वो आत्मग्लानि से भर उठे। दूसरे दिन तीन लाशों का अंतिम संस्कार हुआ। सारा गाँव इस घटना से बहुत दुखी था किन्तु सबसे ज्यादा कोई दुखी था….तो वो थे विधायक जी।

अगले दिन विधायक जी के रोने को मीडिया ने अख़बार की सुर्खी बना दी। पार्टी हाईकमान ने भी उन्हें बधाई दी। सब उन्हें नारियल की तरह कह रहे थे….बाहर से कठोर और अन्दर से मुलायम। भैया जी ने सारे अखबार विधायक जी के सामने रख दिया और बोला,”भैया आप तो छा गये।”
कोई और वक़्त होता तो शैम्पेन की बोतलें खुलतीं…किन्तु आज विधायक जी नाराज हो गये,” चलिए उठिए और बाहर जाइये…..सारी मीटिंग कैंसिल कर दीजिये। मैं किसी से नहीं मिलना चाहता।”
विधायक जी के गुस्से से परिचित भैया जी चुपचाप बाहर निकल गये।
अब विधायक जी को हर तरफ ननकू और उनका परिवार ही दिखाई देता था। उन्होंने खाना-पीना….लोगों से मिलना-जुलना सब छोड़ दिया …शरीर टूटने लगा।

विधायक जी की पत्नी विजया एक समझदार महिला थीं। उनसे अपने पति की हालत देखी न जाती थी। विधायक जी खुद को ननकू और उसके परिवार का हत्यारा मानते थे।आज विजया ने बात करने की ठान ही ली। वो कमरे में अपने पति के सामने पहुंची और उनके हाथ में कागजों का बण्डल पकड़ा दिया। ठाकुर साहेब ने डर के मारे सारे कागजों को फेंक दिया,”क…क..क्या है ये?”
“ननकू का प्रार्थना पत्र” ठकुराइन ने गंभीरतापूर्वक जवाब दिया। विधायक जी उलट-पलट कर उन कागजों पर लिखे नामों को पढने लगे और आश्चर्य से बोले,”इनमे तो किसी में ननकू का नाम नहीं लिखा।”
ठकुराइन बोली,”ध्यान से पढ़ो…..इन सबको वही समस्याएं हैं जो की ननकू की थीं। आज आप एक ननकू की मौत नहीं बर्दाश्त कर पा रहे….इतने का कैसे बर्दाश्त करेंगे… उठिए इनकी सेवा कीजिये…हो सकता है ननकू की आत्मा आपको माफ़ कर दे….बाकी आपकी मर्जी”
ठकुराइन कमरे से बाहर निकलने ही वाली थी की ठाकुर साहेब की कडकती आवाज सुनाई दी,” सुनो, कमल (भैया जी) को फ़ोन करो….अब कोई ननकू नहीं मरेगा”
ठकुराइन की आँखों में ख़ुशी के आंसू तैरने लगे..भीगे स्वर में बोली,” जी”

विधायक जी ने सारे अधिकारियों और पार्टी नेताओं की मीटिंग बुलाई जिसमे ननकू के नाम पर एक ट्रस्ट बनाने और उसका ऑफिस ननकू का घर तोड़कर बनाने का प्रस्ताव हुआ। इस ट्रस्ट का उद्देश्य चौबीस घंटे गरीबों की सेवा करना था। विधायक जी ने अपना सारा वेतन और भविष्य में मिलने वाली सारी पेंशन ट्रस्ट को दान कर दी। उनकी देखा-देखी तमाम लोगों ने ट्रस्ट में क्षमतानुसार धन दान किया। ट्रस्ट के कार्यालय के बाहर ननकू और कमला की मुस्कुराती हुई मूर्ति लगाई गयी और कार्य की शुरुआत उनकी मूर्तियों पर माल्यार्पण कर किया गया। विधायक जी ने पी ए को सख्त हिदायत दी कि कोई भी फोन आये उसकी समस्या जरुर सुनी जाये और उन्हें हर कॉल की डिटेल उन्हें उपलब्ध करायी जाये।
विधायक जी के इन कार्यों से उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि राज्य सरकार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बना कर जेड प्लस सिक्यूरिटी भी दे दी। मंत्री बनने के बाद सबसे पहले ठाकुर साहेब ननकू और कमला की मूर्ति के पास पहुँचे और माल्यार्पण किया और हाथ जोड़कर बोले,”ननकू भैया, ये तुमने मुझे क्या बना दिया?”
और फ़फ़क कर रो पड़े…
जाते वक़्त मुड़कर उन्होंने फिर से ननकू की मूर्ति को देखा….वो हमेशा की तरह मुस्कुरा रही थी। उन्हें महसूस हो रहा था जैसे कि आज ननकू ने उन्हें माफ़ कर दिया। उन्होंने ठकुराइन की तरफ देखा और लम्बी सांस लेकर बोले,”थैंक्स”

कहानीकार- sanjay kaushambi

Language: Hindi
390 Views
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