विधाता मुक्तक -पायल
विधाता मुक्तक छंद
सृजन शब्द -पायल
1222 1222 1222 1222
अजी पायल सुहानी की, अभी रुनझुन बजाएंगे।
सजी है आज महफिल जो ,उसी में डूब जाएंगे।
रचाएं प्रेम की रचना ,निभाए प्रेम की रीतें।
पलक पर तुम रहो मेरे, पिया दिल में बसाएंगे।
कभी पायल कभी वीणा, कभी बंसी सुहानी में।
बजे फिर तान प्यारी सी, मधुर मीठी रुहानी में।
बिसारे गीत विरहन के, मिटाएं दर्द घावों के।
चलो हम आज नाचेंगे, मधुर रैना नुरानी में।
बहारें आज झूमेंगी ,नजारे आज गाएंगे।
खुशी के बादलों में आज ,बन मछली नहाएंगे।
बजेगी पायलों की धुन ,सजेगी सेज उल्फत की।
सनम हम आज मर कर भी, किए वादे निभाएंगे।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश।