Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2019 · 1 min read

विधाता छंद

#विधा-विधाता छन्द आधारित गीत
#विधाता छन्द विधान-1222 1222 1222 1222+28 मात्रा1,7,15,22वीं मात्रा लघु अनिवार्य
__________________________________________
सजन से ये मिलन अपना, सुखद अहसास लाया है।
बहारे आ गई देखो, फिजॉं में प्यार छाया है।।

पड़ेंगे बाग में झूले, सजन हमको झुलायेंगे।
बिछाकर पुष्प की शैय्या, गले हमको लगायेंगे।।
मिला सहचर हमें ऐसा, सुखद संसार लाया है।
बहारें आ गई देखो, फिजाॅं में प्यार छाया है।।

नयन से नेह बरसेगा, पखावज मन बजायेगा।
सजन के प्रेम में पड़कर, मगन मन झूम जायेगा।।
जुदाई की गई रातें, प्रणय हृद ने जगाया है।
बहारें आ गई देखो, फिजाॅं में प्यार छाया है।।

भली रिमझिम घिरी बारिश, पपीहा गीत है टेरे ।
मगन मन मोर सा झूमे, पिया जी सामने मेरे ।।
विरह की छॅंट गई बदली, सजन का नेह आया है।
बहारें आ गई देखो , फिजॉं में प्यार छाया है ।।

बिना देखे तुम्हैं साजन, नयन सावन छलकता था।
पपीहे की तरह ही मन , घटाओं से ललकता था।।
धवल बन बूंद स्वाती की, पिया चितचोर आया है।
बहारें आ गईं देखो, फिजाॅं में प्यार छाया है।।

सुखद संदेश लेकर ही, नवल ये भोर आई है ।
मुखर है प्रेम की भाषा, मधुर सुखसार लाई है ।।
प्रतीक्षित अंत था दारुण , अमित प्रारम्भ पाया है ।
बहारें आ गई देखो , फिजाॅं में प्यार छाया है ।।

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 860 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
सीता छंद आधृत मुक्तक
सीता छंद आधृत मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
आत्मनिर्भर नारी
आत्मनिर्भर नारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
Neelam Sharma
इतने दिनों के बाद
इतने दिनों के बाद
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
आर.एस. 'प्रीतम'
भारतीय रेल (Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
भारतीय रेल (Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
Vijay kumar Pandey
काश
काश
Sidhant Sharma
दुनिया  की बातों में न उलझा  कीजिए,
दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
करन ''केसरा''
3564.💐 *पूर्णिका* 💐
3564.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
Sanjay ' शून्य'
मैं तो महज एक नाम हूँ
मैं तो महज एक नाम हूँ
VINOD CHAUHAN
*नशा तेरे प्यार का है छाया अब तक*
*नशा तेरे प्यार का है छाया अब तक*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दिल से दिल गर नहीं मिलाया होली में।
दिल से दिल गर नहीं मिलाया होली में।
सत्य कुमार प्रेमी
“आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अँधा बना देगी”- गांधी जी
“आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अँधा बना देगी”- गांधी जी
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
तु शिव,तु हे त्रिकालदर्शी
तु शिव,तु हे त्रिकालदर्शी
Swami Ganganiya
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
शेखर सिंह
నమో గణేశ
నమో గణేశ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
हमारे ख्याब
हमारे ख्याब
Aisha Mohan
*दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)*
*दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
Seema gupta,Alwar
लिखना
लिखना
Shweta Soni
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
Sushila joshi
हर एक नागरिक को अपना, सर्वश्रेष्ठ देना होगा
हर एक नागरिक को अपना, सर्वश्रेष्ठ देना होगा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अति-उताक्ली नई पीढ़ी
अति-उताक्ली नई पीढ़ी
*प्रणय प्रभात*
गांव जीवन का मूल आधार
गांव जीवन का मूल आधार
Vivek Sharma Visha
कृतज्ञता
कृतज्ञता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*शिवरात्रि*
*शिवरात्रि*
Dr. Priya Gupta
Loading...