विधाता छंद
दिवस – सूर्यवार
दिनांक – ३०/१२/२०१८
विधा – विधाता छंद गीत
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हृदय की आकांक्षा
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नवागत का चलो यारो, सभी सत्कार करते हैं।
मिटा देंगे बुराई को, हृदय स्वीकार करते हैं।।
न कोई भूख से रोये, धरा पर ध्यान रखना है।
मुहब्बत हो सभी दिल में, हमें यह भान रखना है।।
चलन हो प्रेम से पूरित, चलो इकरार करते हैं।
नवागत का चलो यारो, सभी सत्कार करते हैं।।
हिफाज़त से रहे बेटी, यही अरमान अपना है।
न रिश्तों में टूटन आयें, यही बस आज सपना है।।
हृदय में बात है जो अब, उसे साकार करते हैं।
नवागत का चलो यारो, सभी सत्कार करते हैं।।
नवागत से प्रभावित तुम, पुरातन भूल मत जाना।
विमुख माता पिता से हो, कभी तुम दूर मत जाना।।
पुरातन से सभी मिलकर, सुखद व्यवहार करते है।
नवागत का चलो यारो, सभी सत्कार करते है।।
भला करना भला होगा, यहीं संसार कहता है।
बुराई का बुरा अंजाम ही हरबार होता है।।
भले के पथ चलेंगे हम, अभी इजहार करते हैं।
नवागत का चलो यारो, सभी सत्कार करते हैं।।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”