विद्या एक सागर है
विद्या एक सागर है निरापद
सब जीवन के मोती है इसीमे
गहराई में ही डूब कर तुम
पाओगे सार जीवन का इसीमे।
कुछ लोगो को देखा है हमने
छिछले सागर में तैरते हुए
पाँव तली में लगे है जिनके
सतह पर हाथ चलाते हुए।
खुद भ्रम में जी रहे होते
ऐसे ही छद्म व्रत धारी
ऐसे ही समाजसेवियों के
आयी है बाढ़ बहुत भारी।
जब कभी भी गहराइयों से
पड़ता है सामना इनका
हाथ पांव फूल जातें है
डरते कैसे करेंगे सामना।
रंगे सियार सी नियति है
अपने नील को बचाते है
देखते है जब कभी वर्षण
ये बेहद ही घबरा जाते है।
निर्मेष इनकी बस एक ही
मुकम्मल पहचान होती है
लकलक श्वेत कुर्ते के नीचे
की बनियान गंदी होती है।
निर्मेष