विद्यार्थी और विभिन्न योग्यताएँ
अक्सर हम अपने बच्चों की छोटी छोटी उपलब्धियों पर खुश या उन्हें मोटीवेट करने की वज़ह हम उनकी तुलना अन्य बच्चों से करने लगते है। जिसके कारण बच्चों में हीन भावना पैदा होने लगती है और इस तरह बच्चा अपने भीतर छुपे हुए टैलेंट या कौशल को दूसरों को बताने से डरने लगता है। और दूसरों से अपनी तुलना करने लगता है।
हमें यह समझना चाहिए कि हम विभिन्नन्ताओ से भरे देश मे रहते है। यहाँ हर एक क़दम पर हमे भाषा, खाने,संस्कृति, कपड़े आदि मे विभिन्नता देखने को मिलती है यहाँ तक कि हमारे शरीर मे भी कई तरह की विभिन्नता है लेकिन इसके बावज़ूद भी हमने कभी अपने आपको अस्वीकार नही किया जैसे हाथ की भी सभी अंगुलियाँ एक समान नही होती इसके बावज़ूद भी हर एक अंगुली का अपना एक अलग महत्व है।
जिस तरह हर एक अंगुली का अपना एक अलग महत्व है। उसी तरह हर एक इंसान/व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, दिव्यांग आदि कोई भी हो सभी का अपना अलग महत्व है।
सभी के पास अपनी अलग योग्यता है हमारा काम बच्चे की उस योग्यता की पहचान करना और उस पोषित करना है। जिस तरह नदी में रहने वाली मछली आकाश मे नही उड़ सकती और आकाश में उड़ने वाला पंक्षी पानी में नही रह सकता उसी तरह एक बच्चा कभी भी दूसरे बच्चे की तरह नही हो सकता। एक बच्चा कभी भी अपने अभिभावक की तुलना अपने मित्र या पड़ोसी के अभिभावक से नही करता। इसलिए अभिभावकों को भी सोचना चाहिए की जिस तरह वह अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करते है क्या उनका अपने बच्चों को आंकने का तरीका सही है? अगर हाँ तो आपको अपने आप को और अपनी सोच का विश्लेषण करने की जरूरत है।