विदाई
******* विदाई ********
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झड़ी आंसुओं की है आई,
नम आंखों से दें हम विदाईا
सच्ची निष्ठा से फर्ज निभाया,
पथ भटकों को भी दिखाया,
प्रीत से हर रीत सदा निभाई|
नम आंखों से दें हम विदाई|
यूं तो आते-जाते रहते लोग,
पद प्रतिष्ठा का चखते भोग,
काम आए सदा नेक कमाई|
नम आंखों से दें हम विदाई|
सुखी जीवन हो यह कामना,
झोली खुशियां की थामना,
लेनी पड़े ना कोई भी हवाई|
नम आंकों से दें हम विदाई|
वक्त करवट बदलता जाएगा,
आपकी जगह कोई आएगा,
उसमें होगी आपकी परछाई|
नम आंखों से दें हम विदाई|
जैसा पद वैसा काम किया,
दो पल भी न आराम किया,
हो पाएगी न कभी भरपाई|
नम आंखों से दें हम विदाई|
राह देखती रहे प्रीत तुम्हारी,
घर-आंगन की शोभा तुम्हारी,
गिले-शिकवों की हो खुमारी|
नम आंखों से दें हम विदाई|
मनसीरत कहे सुन अलविदा,
राह अपनी चलो होकर जुदा,
रीति सदियों हे है चली आई|
नम आंखों से दें हम विदाई|
झड़ी आंसुओं की हैं आई|
नम आंखों से दें हम विदाई|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)