विदाई गीत
***** विदाई-गीत *****
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आ गई आखिर वो घड़ी,
आँसुओं की लगी है झड़ी।
हों नभ में चमकते तारे,
फूल बगिया के बहुत प्यारे।
माला मोती से थी जड़ी।
आ गई आखिर वो झड़ी।
हर कोना ज्ञान का प्यासा,
हाथों से था खूब तराशा।
प्रकाश-पुंज मूर्त बन खड़ी।
आ गई आखिर वो घड़ी।
जब आये हों जैसे पराये,
बन गए परछाई – साये।
ज्योति की रही जल लड़ीं।
आ गई आखिर वो घड़ी।
गर थे जो लड़ते- झगड़ते,
पलभर में गले आ मिलते।
प्रेम मिला है भर-भर धड़ी।
आ गई आखिर वो घड़ी।
दर्द भरी होती विदाई,
जब जुदाई दर पर आई।
जंग विचारों की है छिड़ी।
आ गई आखिर वो घड़ी।
मनसीरत दे दिल से दुआ,
हो ये जीवन खुशियों भरा।
हो कामयाबी पग पर पड़ी
आ गई आखिर वो घड़ी।
आ गई आखिर वो घड़ी।
आँसुओं की लगी है झड़ी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)