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12 Dec 2020 · 1 min read

विजय

विजय मिले जब काम में, पाता मानस मान
करती किरपा शारदे , बढ़ती मानव शान

सीख सदा इतिहास दे , होती असत्य हार
होकर बेबस सत्य जब ,करता कटु प्रहार

हरण हुई जब जानकी , पाती रावन कैद
करता संहार तीर तब , नाभि लंकेश भेद

लीला यह भगवान की , खेते केवट नाव
पार लगे भगवान तब , पर मुख नाहीं ताव

त्रिलोकी नाथ है वो , करे नाश जो पाप
ले भू पर अवतार जो , दूर करे संताप

मारा रावन राम ने , हो न धर्म की हानि ।
पूरा कुल तर गया , हरेक मुख यह बानि

जीवन का जो मर्म दे , राम चरित का सार
प्रभू नाम स्मरण से , हो भव सागर पार

Language: Hindi
75 Likes · 342 Views
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