विजय पर्व पर कीजिए, पापों का संहार
जगत जननी जगदम्बिका, सर्वशक्ति स्वरूप।
दयामयी दुःखनाशिनी, नव दुर्गा नौ रूप।।
शक्ति पर्व नवरात्र में, शुभता का संचार।
भक्तिपूर्ण माहौल से, होते शुद्ध विचार ।।
जयकारे से गूंजता, देवी का दरबार।
माता के हर रूप को, नमन करे संसार।।
माँ अम्बे के ध्यान से, मिट जाते सब कष्ट।
रोग शोक संकट सभी, हो जाते हैं नष्ट।।
काम, क्रोध, मद, मोह, छल, अन्याय, अहंकार।
रावण की सब वृत्तियाँ, मन के विषम विकार।।
विजय पर्व पर कीजिए, पापों का संहार।
रावण भीतर है छुपा, करिए उस पर वार।।
[दुर्गा पूजा, विजयादशमी और दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ]
©हिमकर श्याम