विजया घनाक्षरी (नगणांत)
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधे कृष्ण !
अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं !
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विजया घनाक्षरी(नगणांत)
(32 वर्ण, 8-8-8-8- पर यति, चरण के अंत में ललल )
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आया सावन सजन, घिरे बदरा गगन,
पड़ें बुँदियाँ धरन, सीरी बहे रे पवन ।
सोम शिव को नमन, करें बैठ के भजन,
जन करते स्तवन, मुँदे-मुँदे से नयन ।।
गौरी मात के सुअन, सौम्य सुंदर चरन,
दुष्ट दैत्यन दलन, पूर्ण कर दो सपन ।
गहे ‘ज्योति’ ने चरन, लगी तुमसे लगन,
सदा महके चमन, बुझे मन की तपन ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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