विजया कौ ढंग (मनहरण घनाक्षरी-ब्रज भाषा)
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
🦚
विजया कौ ढंग
(मनहरण घनाक्षरी)
***************
छानै यार संग चार होंय तौ आनंद बड़ौ ,
परम आनंद मिलै गंगा जी कौ पानी है ।
खुल जामैं मनुआ के बंद परे पट सब,
महिमा तौ याकी साधू जोगी जती जानी है ।।
योगिन कूँ योग देत भोगिन कूँ रोग देत ,
जादा याकूँ छानैगौ तौ होवैगी नादानी है ।
‘ज्योति’ कहै भंग कौ तौ रंग ही निरालौ हतै,
भंग , भंग नाहै भंग विजया भवानी है ।।
*
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
🌴🌴🌴