विजया कौ ढंग (ब्रज भाषा घनाक्षरी)
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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विजया कौ ढंग
(मनहरण घनाक्षरी)
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थोरे से बदाम पिस्ता मिंगी कारी मिरच लै ,
खस-खस मुनक्का इलायची दो चार लै ।
हरी-हरी भाँग लै कै साफ करै धोय-धोय,
सामग्री सबहि बिछा सिल पै तू डार लै ।।
आसन पै बैठि कैं रिगड़ पीसै लोढ़ा लै कै ,
छानै तौ जी स्वाफी कूँ तू धोय कैं निखार लै ।
‘ज्योति’ कहै बिन छाने छानै तौ आनंद होंय,
भोग लगा लोटा भर कंठ में उतार लै ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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