विजयादशमी पर कुछ दोहे —आर के रस्तोगी
मन के रावण को मारा नही,लंका के रावण को दिया मार
मन के रावण को मार लो ,हो जाओगे भव सागर से पार
मारने से जो कोई न मरे,क्यों मारते हो बार बार
ऐसा उपाय करो कुछ तुम,हो जाए तुम्हारा उद्धार
असत्य पर सत्य की विजय करो,तभी विजयादशमी ही मनाओ
सारे साल असत्य बोलते रहो,एक दिन असत्य को मारने जाओ
जब गली गली में रावण हो तो,इतने राम कहाँ से लाये
जब घर घर में सीता चुरती हो,इतने लछमन कहाँ से लाये
जब हर कुर्सी पर रावण बैठा हो,राम को किस कुर्सी पर बैठाए
अगर भारत की तरक्की करनी है,हर कुर्सी रावण से खाली कराए