Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2023 · 1 min read

खुदा ने ये कैसा खेल रचाया है ,

खुदा ने ये कैसा खेल रचाया है ,
ये कैसी परिस्थिति को मेरे समक्ष उपस्थित करवाया है।
चाह के भी ये निगाहें झुकी हुई हैं,
अभिलाषा के विरुद्ध जाके आप से फिरी पड़ी है।
अगर क्षमता रहती तो आपको मेरी नजरों में कैद न कर लेती,
बस आपको देख यू ही थम जाती,
बस एक बार मुझे सहला दो ,
मैं यू ही बहल जाऊँगी,
ऐसे ही मैं तुम्हारी हो जाऊँगी।

1 Like · 160 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भावों का भोर जब मिलता है अक्षरों के मेल से
भावों का भोर जब मिलता है अक्षरों के मेल से
©️ दामिनी नारायण सिंह
रुदंन करता पेड़
रुदंन करता पेड़
Dr. Mulla Adam Ali
Innocent love
Innocent love
Shyam Sundar Subramanian
अंग्रेज तो चले गए ,
अंग्रेज तो चले गए ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
खुशी देने से मिलती है खुशी और ग़म देने से ग़म,
खुशी देने से मिलती है खुशी और ग़म देने से ग़म,
Ajit Kumar "Karn"
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
शेखर सिंह
यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं
यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं
Sonam Puneet Dubey
भीगी बाला से हुआ,
भीगी बाला से हुआ,
sushil sarna
अध्यापक:द कुम्भकार
अध्यापक:द कुम्भकार
Satish Srijan
“साजन”
“साजन”
DrLakshman Jha Parimal
मुझे लगता था —
मुझे लगता था —
SURYA PRAKASH SHARMA
गृहिणी (नील पदम् के दोहे)
गृहिणी (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*मैं और मेरी चाय*
*मैं और मेरी चाय*
sudhir kumar
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
goutam shaw
नव वर्ष की बधाई -2024
नव वर्ष की बधाई -2024
Raju Gajbhiye
*श्री उमाकांत गुप्त (कुंडलिया)*
*श्री उमाकांत गुप्त (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"मेरे अल्फ़ाज़"
Dr. Kishan tandon kranti
3244.*पूर्णिका*
3244.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कृषक की उपज
कृषक की उपज
Praveen Sain
पावस आने से प्रथम, कर लो सब उपचार।
पावस आने से प्रथम, कर लो सब उपचार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जब मेरा अपना भी अपना नहीं हुआ, तो हम गैरों की शिकायत क्या कर
जब मेरा अपना भी अपना नहीं हुआ, तो हम गैरों की शिकायत क्या कर
Dr. Man Mohan Krishna
क्यों गुजरते हुए लम्हों को यूं रोका करें हम,
क्यों गुजरते हुए लम्हों को यूं रोका करें हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विशाल अजगर बनकर
विशाल अजगर बनकर
Shravan singh
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
वो दिन भी क्या दिन थे
वो दिन भी क्या दिन थे
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
यदि ध्वनि हद से ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले वो आपके ध्वनि को
यदि ध्वनि हद से ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले वो आपके ध्वनि को
Rj Anand Prajapati
#प्रसंगवश....
#प्रसंगवश....
*प्रणय*
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
Anamika Tiwari 'annpurna '
Gestures Of Love
Gestures Of Love
Vedha Singh
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
Keshav kishor Kumar
Loading...