विचार
किसी भी विषय में किसी दूसरे के विचारों को आप सुनते हो,पढ़तें हो तो उसके मन के जरिये आप को सोचने का साधन तो प्राप्त हो जाता है मगर स्वयं की सोचनें की शक्ति को,अपनें विचारों को बाध्य कर देंतें हैं।
किसी दूसरे की अवधारणा से आप अपना मत शामिल ना करें।
खुद में उन विषयों पर मंथन करें और जो प्राप्त होता है उन्हें खुद के अन्दर अवतरित कर लें।और अपनें विचारों को दूसरे के ऊपर संचित ना करें।
शिव प्रताप लोधी