विचार प्रसंग
कारण खोजने जो चला, कारक मिलिया न कोय,
हालात माडे थे जिनके, मिले चदरिया ताने
सोय
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मेरा मुझको आसरा, जाने अंत हालात,
विपद पडे साथ था, हुई एक मुलाकात.
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खैरियत बख्श दो, देख विपरीत प्रभाव,
देखी जाती क्षमता, दैविक नहीं अभाव.
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जब जब दुखियों से मिले पाये क्षीण विचार,
हमने बस पीठ थप थपाकर भरे शिष्टाचार.
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मैं जो हू जैसा हूँ, हूँ एकदम सद् भाव,
तेरी तू समझकर देख,कहाँ रहे अभाव.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस