विचारों के समंदर जरा डूब कर तो देखो
विचारों के समंदर जरा ,डूब कर तो देखो
जोखिम के समंदर में, गोते लगाकर तो देखो
अहंकार के भंवर से , बाहर आकर तो देखो
कर्तव्य की भावना , दिल में जगाकर तो देखो
मुसीबतों के दौर से , गुजर रहे हैं सभी
किसी को शुभ समाचार ,सुनाकर तो देखो
इन्सानियत की राह , होती कठिन है
मन में मानवता , जगाकर तो देखो
अपंगों का इस जहां में , कोई सहारा नहीं है
मन में सेवा भाव , जगाकर तो देखो
विशिष्ट और श्रेष्ठ की श्रेणी से , ऊपर उठो तुम
दुनिया को मानवता का राग , सुनाकर तो देखो
अशिष्ट ,अश्लील विचारों की , दुनिया से बाहर आओ
धार्मिक विचारों का समंदर , बहाकर तो देखो
माया रुपी सम्मोहन की दुनिया से , बाहर आओ
मन में आध्यात्मिकता का भाव , जगाकर तो देखो
बहुमूल्य है जीवन, अन्धकार से बाहर आओ
इस जीवन से अपना परिचय, कराकर तो देखो