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8 Mar 2021 · 1 min read

विचारों के समंदर जरा डूब कर तो देखो

विचारों के समंदर जरा ,डूब कर तो देखो
जोखिम के समंदर में, गोते लगाकर तो देखो

अहंकार के भंवर से , बाहर आकर तो देखो
कर्तव्य की भावना , दिल में जगाकर तो देखो

मुसीबतों के दौर से , गुजर रहे हैं सभी
किसी को शुभ समाचार ,सुनाकर तो देखो

इन्सानियत की राह , होती कठिन है
मन में मानवता , जगाकर तो देखो

अपंगों का इस जहां में , कोई सहारा नहीं है
मन में सेवा भाव , जगाकर तो देखो

विशिष्ट और श्रेष्ठ की श्रेणी से , ऊपर उठो तुम
दुनिया को मानवता का राग , सुनाकर तो देखो

अशिष्ट ,अश्लील विचारों की , दुनिया से बाहर आओ
धार्मिक विचारों का समंदर , बहाकर तो देखो

माया रुपी सम्मोहन की दुनिया से , बाहर आओ
मन में आध्यात्मिकता का भाव , जगाकर तो देखो

बहुमूल्य है जीवन, अन्धकार से बाहर आओ
इस जीवन से अपना परिचय, कराकर तो देखो

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 253 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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