विचारमंच भाग -5
गुनगुनाना था तराना तो फकीर बन गये, मांगना इतना आसान भी नहीं होता||(26)
तेरी कमी की कमी है इस दिल मे ,तभी तो दिल ये कमीना है||(27)
अरदास लेकर फिर आना तुम उस गली, जहाँ की हवा में यादें है बुनियादी ||(28)
तुमने पूछा – तुम आओगे न मिलने मुझसे?
अरे पगली चांद आधा होने पर तारा छुप जाता है?(29)
बन्द दरवाजे का खुलापन मजेदार होता है, कभी-कभी बन्दिश भी सुकून देती है||(30)
क्रमश: