विकृत मानसिकता
कलियुग की इस बेला में नृशंस हत्या नाच रही है ।
खुद माधुर्य रो रहे हैं ।
अपनी छवि का इतिहास रचने, मानवता को शर्मसार करने ।
तूल पकड़ कर ,विकृत मानसिकता नाच (खुशी से झूम )रही है। _ डॉ. सीमा कुमारी , ( बिहार भागलपुर)। स्वरचित रचना
दिनांक- १४-४-०१८ की है। जिसे आज प्रकाशित कर रही हूँ।