विकास
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“केबिनेट मंत्री बनने की बधाई हो विधायक महोदय जी।” सरपंच जी ने उन्हें गर्मजोशी से गुलदस्ता थमाते हुए कहा।
“बहुत-बहुत आभार सरपंच जी। आप सबके सहयोग और आशीर्वाद से ही यह संभव हो सका है।” मंत्रीजी ने कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा।
“पहली बार इस क्षेत्र के विधायक को मंत्री बनने का अवसर मिला है।” सरपंच जी ने कहा।
“बिल्कुल। हमें अपने किए गए एक-एक वायदे याद हैं। हम विकास की गंगा बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। अपने सभी वादे पूरे करने की कोशिश जरूर करेंगे। आपके गाँव में मिडिल स्कूल का उन्नयन हाईस्कूल में, अस्पताल, पुलिस थाने की स्थापना, नगर पंचायत का दर्जा हम जरूर दिलवाएंगे। शराब की दुकान भी बंद करवाएँगे। अगले ही सत्र से आपके यहां हाईस्कूल खुल जाएगा।” मंत्रीजी बहुत उत्साहित थे।
“इसी सिलसिले में बात करने के लिए हम आपके पास आए हैं मंत्रीजी। बाकी सब तो ठीक है। ये हाईस्कूल का विचार छोड़ दीजिएगा।” सरपंच जी ने हाथ जोड़कर आग्रहपूर्वक कहा।
“क्या ? पर क्यों ?” मंत्रीजी ने आश्चर्य से पूछा।
“देखिए माननीय मंत्रीजी, यदि संभव हो, तो अभी जो मिडिल स्कूल चल रहा है, उसे भी किसी बहाने से बंद करवा दीजिए। हाईस्कूल खुल गया, तो यहाँ के नवयुवक पढ़ने-लिखने में समय वेस्ट करने लगेंगे। हमारे खेत खाली पड़े रह जाएंगे। वैसे भी आजकल मजदूरों की बड़ी समस्या है। और एक विशेष आग्रह ये भी है कि हमारे गाँव में शराब की दुकान बंद नहीं होनी चाहिए… सभी लोग संत-महात्मा बन गए तो… “” सरपंच जी ने अपनी समस्या बताई।
मंत्रीजी ने उन्हें पूरी तरह से आश्वस्त कर दिया।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़