” वाह ! क्या बात है “
कितनी अजीब बात है ना !
हर सुबह के साथ एक नयी जिंदगी मिलती है ,
फिर भी हम संतुष्ट नहीं हैं ।
जिंदगी जीने के लिए मिली है ,
उसे दूसरों के जिंदगी में झांकने में लुटा रहे हैं ।
सबको पता है ! मौत तो एक बार आएगी ही ,
इस तन के सिवा कुछ नहीं ले जाएगी ,
फिर भी भय का दीपक जलाएं बैठे हैं ।
करोड़ों कमा कर भी पेट भरने के लिए ,
दाल – रोटी – सब्जी ही चाहिए ,
करोड़ों की लालच में अपनों को भुला बैठे हैं ।
– ज्योति