वार्ता मेरे अनपढ़ कम्पाउंंडर के साथ*
*कायर हु
पर वीर हु साहेब
शंभू ठाकुर
नाम से क्या होत है साहेब
नाम है बर्फ
बहुत ठण्डी होती है
जला देती है
नाम है बर्फी
नाम से मुख में लार टपती है साहेब
ये दुनिया है
दुनिया-दारी ऐसे ही चलती है साहेब
जो अपने है न साहेब
वो हि मारत है साहेब
जैसे कोख में पता चले लडकी है,
खत्म कर देते है साहेब,
अब आप ही बताओ साहेब
कोई अपना है दुनिया में
सब मतलब को संसार,
ये जौन लोग कहत है धार्मिक धार्मिक
एक नंबर के पाखंडी है साहेब
सब रुपयेन को ऐठन खातिर है साहेब
कौन दया कौन धर्म सब दिखावा है
जौन आदमी
भक्तन को पैसों
सब मतलब में खरचत है
मतलब माहि
.
वार्ता मेरे अनपढ़ कम्पाउंडर के साथ,