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7 Oct 2021 · 3 min read

वारिस

वारिस
महेंद्र प्रताप लखनपुर गांव के जमींदार रहलन।वो तीन सौ बीघा जमीन के मालिक रहलन।जमीन तीन गांव में रहे।तीनू गांव में कचहरी रहे।सभ कचहरी में जेठ रहैत रहे जे वोही गांव के रहे। महेंद्र प्रताप चार महीना पर मुयाना करैत रहलन।
महेंद्र प्रताप पटना विश्वविद्यालय से एमए कैले रहलन। हुनकर विआह भगवानपुर के जमींदार विश्वनाथ प्रताप के एकलौती बेटी मेनका से भेल रहे। मेनका मुजफ्फरपुर के बिहार विश्वविद्यालय से एमए कैले रहे। शादी के बाद दूनू गोरे राज सी जीवन जीयत रहे।
मेनका के भरल जवानी पर महेंद्र प्रताप दिवाना रहे। मेनका खुलल विचार वाली युवती रहे।गांव के लोग मेम साहब कहैत रहे।
शादी के पांच साल के बाद महेंद्र प्रताप अपन पिताजी तेज प्रताप के मरला के बाद जमींदारी करे लगनन। अब वो शराब पीये लगनन। अब हुनकर नजर मेनका के खवासिन पारो पर रहे।पारो मेनका के समवयस्क रहे।उ सुंदरता में मेनका से बीस रहें। मेनका जहां गेहूंआ रहे, वहां पारो दुधिया गोर रहें।
धीरे-धीरे महेंद्र प्रताप पारो के नजदीक आवे लगनन। एक दिन मेनका, महेंद्र प्रताप आ पारो के एक साथ आलिंगन बद्ध देख लेलक।पित्त मार के मेनका रह गेल।अइ बारे में केकरो से कुछ न कहलक।
लेकिन वोहे रामा खटोला, मेनका बार बार देखै लागल। एक दिन रात में मेनका, महेंद्र प्रताप के इ सभ बात कहलन-हम पंद्रह दिन से अंहा पारो के चलैत संबंध के देख रहल छी।एना न करूं। हमरा में कि न हैय,जे पारो में हैय। एगो औरत सभ कुछ देख सकै हैय, लेकिन अपना पति के दोसर औरत के संग न देखि सकत हैय।अब अंहा संभल जाउ। महेंद्र प्रताप हां हूं कहिके मेनका के अपना बाहों में ले लेलन।
परंच महेंद्र प्रताप के आंख में त बासना के भूत सवार रहे।पारो अब सुन्दरी नै अतिसुंदरी लागे लागल रहे।
अब त हर समय पारो के संग रहे के कामेक्षा जागै लागल। अब त दूनू गोरे हबस के भूख मिटाबे लागल।
एक दिन मेनका, महेंद्र प्रताप आ पारो के एक साथ विछावन पर आलिंगन बद्ध देख लेलक। मेनका पारो के डपटैत महेंद्र प्रताप के कहलक-अंहा के कि बुझाई हैय कि हम जमींदार के बेटा छी,त हमहु जमींदार के बेटी छी। अंहा एम ए छी त हमहु एम ए छी। अंहा शराब पीयै छी त आइ से हमहु शराब पीबै। अंहा हमरा खबासिन के साथ रहै छी त हमहु अंही के खबास जौडे रहब।जे जे अंहा करै छी वोहे हम भी करब। अब अंहा देखब।
महेंद्र प्रताप भी तैश में कहलन- अंहा के जे मन हैय से करू।हम त पारो के साथ ही रहब।
मेनका लम्बा सांस लैत,गेहूमन जेका फुफकार आ फनफनाइत दोसर रूम चल गेल।
अब मेनका महेंद्र प्रताप के खबास पर डोरा डारे लागल।खबास राम बुझावन महेंद्र प्रताप के ही तुरिया रहे।गांव के ही स्कूल से पांचवा पास रहें।लम्बा चौड़ा जवान। श्यामला रंग। चौड़ा सीना।बडका मोंछ।
मेनका के रंग ढंग आ प्रेमक व्यवहार से वो मेनका के मोह पाश में बंधाय लागल। एक दिन मेनका साफ साफ महेंद्र प्रताप के साथ अपन संबंध में बता देलक।आ कहलक-तू निश्चित हो जा। हम अब तोरा से प्यार करै छी। हमरा मन पर आ तन पर तोहर अधिकार हौ। आ इ अधिकार तोरा हम देय छियौ।आ इ कहैत रामबुझावन के अपना बाहों में ले लेलन। रामबुझावन महसूस कैलक कि मलकिनी शराब पीले हैय आ मदहोश हैय।
जवान मर्द के जब कोई जवान मदहोश औरत अपना बाहों में जकडत त भला उ मर्द जकडन के तोड़ सकै छैय।
धीरे-धीरे मेनका आ रामबुझावन वासना आ प्रेम में आगे बढैत चल गेल।समय अपन चाल में चलैत रहे। मेनका गर्भवती भे गेल।
महेन्द्र प्रताप के ज्यादा शराब पीये के कारण लीवर खराब हो गेल। एक दिन अचानक दुनिया छोड़ देलन। मरला के सात महीना के बाद मेनका के लडका पैदा भेल।सभ लोग कहे कि मालिक महेंद्र प्रताप वारिस देके अपने असमय चल गेलन। लेकिन लोग वारिस के राज के न जान पायल।सारा राज काज वारिस वालिग होय तक मेनका आ खवास बाबू राम बुझावन देखैत रहे।
स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Maithili
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