वापस
घर से लौटा दिया हमको,
डर कर ही सही पर,
ईमान अपना सही दिखा गया हमको ।
विदा होकर गई थी जिस गली से,
उसी गली में छोड़ गया हमको।
हकीकत में हमें ,वेबा से बदतर
जिंदगी दे गया हमको।
टूटी ,थमी जिंदगी,
संस्कार के नामपर जीती हूँ ।_ डॉ. सीमा कुमारी, बिहार
(भागलपुर ) दिनांक-1-1-010, जिसे आज प्रकशित कर रही हूं।