वाकया होता
बात ब्रांडेड कमीज की थी ,नहीं तो खून से लथपत को उठा लेते
गाँव के लोग ये सोच रखते ,तो फिर क्या होता।
अगर मानवता रग – रग में समायी होती, तो फिर कहना ही क्या था
न वो आदमी मरता न ऐसा कोई वाकया होता।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
बात ब्रांडेड कमीज की थी ,नहीं तो खून से लथपत को उठा लेते
गाँव के लोग ये सोच रखते ,तो फिर क्या होता।
अगर मानवता रग – रग में समायी होती, तो फिर कहना ही क्या था
न वो आदमी मरता न ऐसा कोई वाकया होता।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी