वह लोग जिनके रास्ते कई होते हैं……
वह लोग जिनके रास्ते कई होते हैं……
रास्तों से भटक जाते हैं ,यह लोग वही होते हैं [1]
किरदार से नीम की तरह दिखते हैं……
चुभ जाते हैं सुई की तरह, यह लोग सही होते हैं [2]
बाजारों में लिए फिरते हैं हंसते चेहरे…..
यह सब दिखावटी मुखोटे है अकेले में यही रोते हैं [3]
जमाना लगा है पैसा कमाने की दौड़ में
मगर जो संतोषी होते हैं वही सुकून की नींद सोते हैं [4]
✍️कवि दीपक सरल