Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2022 · 4 min read

वह माँ नही हो सकती

यह कहानी बिरजू और उसके परिवार की है।घर में पत्नी और दो बच्चे थे। दोनों लड़के ही थे।दोनो का नाम मोहन और सोहन था। एक छः साल का और दुसरा आठ साल के लगभग था।बिरजू बहुत ही मेहनती और खुश मिजाज इंसान था। वह गांव में ही दूसरे के खेतों में काम करता और जो मजदूरी मिलता उससे परिवार का पेट पालता ।थोडा दिक्कत से ही सही पर घर का काम चल जाता था।पर पत्नी शहर जाने रट लगाकर बैठी थी।रोज बिरजू पर शहर चलने के लिए दवाब बना रही थी।अब तो आय दिन शहर जाने के नाम पर घर में पत्नी से बहस छिड़ जाती।बिरजू बेचारा सीधा- साधा इंसान था। सोचा रोज रोज के इस तु -तु मे मे से अच्छा है की एक बार इसे शहर दिखा देता हूँ।वहाँ काम अच्छा मिल गया तो ठीक नही तो गांव वापस आ जाऊंगा। यह सोचकर वह अपने परिवार के साथ शहर चला आया। शहर में रह रहे से गांव के कुछ मजदूर भाई से मिला और काम दिलाने और रहने के ठिकाने की बात की उसी में एक मजदूर भाई ने वही पास की एक झुग्गी झोपड़ी एक झोपड़ी किराए पर दिला दिया और एक ठेकेदार के पास मजदूरी के काम मे लगवा दिया ।बिरजू दिन-रात मेहनत कर पैसा कमाने लगा था। इधर पत्नी की महत्वकांक्षा दिन-प्रतिदिन बढती जा रही थी। दिन-रात सिर्फ खुद को सजने-सँवरने में ही लगा देती थी। न तो ढंग से खाना बनाती और न बच्चो को देखती।बिरजू के कुछ कहने पर घर में कोहराम मचा देती थी। बिरजू इसके कारण परेशान रहने लगा था। दिन -रात मेहनत करके आने के बाद भी न तो घर में कुछ खाने को ढंग से मिलता और न शांति से उसे घर में रहने दिया जाता।कभी बच्चे माँ की शिकायत लेकर बिरजू के पास आ जाते की माँ घर पर नही रहती है और ठीक से हमें खाना भी देती है। बिरजू यह सब सुन काफी चिन्ता में आ जाता।वह अपनी पत्नी को कभी समझा कर कभी डॉट-फटकार कई बार उसे जिम्मेदारी, एहसास कराने की कोशिश की, पर वह बेचार नाकाम रहा। एक दिन बिरजू काम कर रहा था की अचानक सीने में दर्द हुआ। वहाँ पर आस-पास काम कर रहे मजदूर उसे पास के ही सरकारी अस्पताल में ले गए। पर बिरजू की जान न बच सकी।दिल का दौरा पड़ने के कारण उसकी मौत हो गई और वह बेचारा इस दुनियाँ से चल बसा।पत्नी ने थोड़े दिन रोने और उदास रहने का नाटक किया पर जल्द ही वह पहले की भाँति अपने रंग में आ गई ।आस-पास के लोग यह देख हैरान थे। अब उसके घर एक अधेर उम्र का आदमी का रोज का आना-जाना होने लगा था।लोग के बीच तरह तरह की बात फैलने लगा।पर इससे बिरजू की पत्नी को कोई फर्क नही पर रहा था ।वह अपनी धुन में जी रही थी।अचानक कुछ दिनों बाद घर में बिल्कुल सन्नाटा था और घर के दरवाजे पर ताला बंद। लोगो को समझ में नही आ रहा था की आखिर बिना बताएँ यें लोग कहाँ चले गए। कोई दिख नहीं रहा था। आस पास वाले लोगो की नजरे अनायास उस झोपड़ी के दरवाजे पर चली जाती और दो तीन महिला जहाँ मिलती तो आपस में बात करने लगती को आखिर ये लोग किसी को बिना बताए कहाँ चले गये और बच्चे भी नहीं दिख रहे। इस घटना के चार या पाँच दिन बीते थे कि आस- पास एक अजीब सी बदबू फैल रहा था । ऐसा लग रहा था की कोई जीव- जन्तु की लाश सड़ रही हो । लोगो ने पुलिस को सुचित किया पुलिस ने छानबीन की काफी मशक्कत के बाद पता चला की यह दुर्गन्ध सड़क को बनाने के लिए जो कोलतार का जो ड्राम रखा है उससे आ रही थी। उसकी जाँच शुरू हुई तो उसमें से एक बच्चे की लाश मिली और फिर जाँच आगे बढाने के बाद कोलतार के दूसरे ड्राम में से एक और बच्चे की लाश मिली ।इस तरह कर दोनो बच्चो की लाश को जब पुलिस ने साफ कराया तो लोग दंग रह गए दोनो बच्चा बिरजू का था। अब पुलिस बिरजू की पत्नी की तलाश में जुट गई। काफी मशक्कत के बाद वह पुलिस के हाथ लगी।काफी सशक्ति से पूछताछ करने पर उसने स्वीकारा की उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया और वह यह सब सिर्फ इसलिए कि क्योंकि वह अपने प्रेमी के साथ ब्याह करना चाहती थी।उसका प्रेमी बच्चों को रखने के लिए तैयार नही था। इसलिए उसने प्रेमी के साथ मिलकर अपने बच्चों की हत्या की।यह सुनकर लोग हैरान हो गए। कैसे कोई माँ अपने बच्चों को इतना बेदर्दी स्मारक सकती है।लोगो ने कहना शुरू कर दिया वह माँ नही हो सकती है।वह माँ के नाम पर कलंक है।वह डायन हो सकती है,वह हत्यारन हो सकती है पर माँ नही हो सकती।माँ तो ऐसी होती है जो खुद हर चोट सह ले पर बच्चों पर आँच न आने देती है।जो अपने स्वार्थ के लिए अपने बच्चे को मार दे वह माँ नही हो सकती है।वह माँ कहलाने की हक नही रखती।जितनी मुँह उतनी बाते निकल कर आ रही थी।हर एक के मुँह से बिरजू की पत्नी के लिए बद्दुआ और बच्चों के लिए आह निकल रही थी।आज बिरजू की पत्नी जैल में है और उसके प्रेमी को पुलिस तलाश रही है।
मेरे इस कहानी का मतलब है की सही महत्वकांक्षा सही मुकाम देता है लेकिन गलत महत्वकांक्षा के लिए उठाया गया कदम उससे सब कुछ छिन लेता है।

~अनामिका

Language: Hindi
1 Like · 265 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
“किताबों से भरी अलमारी”
“किताबों से भरी अलमारी”
Neeraj kumar Soni
कभी कभी
कभी कभी
Sûrëkhâ
नारी भाव
नारी भाव
Dr. Vaishali Verma
मुक्तक... छंद हंसगति
मुक्तक... छंद हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
अगर अयोध्या जैसे
अगर अयोध्या जैसे
*प्रणय*
"चलो जी लें आज"
Radha Iyer Rads/राधा अय्यर 'कस्तूरी'
पिता
पिता
Shashi Mahajan
********* बुद्धि  शुद्धि  के दोहे *********
********* बुद्धि शुद्धि के दोहे *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"इन्द्रधनुष"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Srishty Bansal
*How to handle Life*
*How to handle Life*
Poonam Matia
भाग्य
भाग्य
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
आसमान का टुकड़ा भी
आसमान का टुकड़ा भी
Chitra Bisht
*फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)*
*फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)*
Ravi Prakash
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
कृष्णकांत गुर्जर
प्रेम का कोई उद्देश्य नहीं प्रेम स्वयं एक उद्देश्य है।
प्रेम का कोई उद्देश्य नहीं प्रेम स्वयं एक उद्देश्य है।
Ravikesh Jha
4243.💐 *पूर्णिका* 💐
4243.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
Ranjeet kumar patre
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
डॉक्टर रागिनी
यादों के संसार की,
यादों के संसार की,
sushil sarna
" न जाने क्या है जीवन में "
Chunnu Lal Gupta
Acrostic Poem- Human Values
Acrostic Poem- Human Values
jayanth kaweeshwar
खुदा तू भी
खुदा तू भी
Dr. Rajeev Jain
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
Dr Archana Gupta
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
Rj Anand Prajapati
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं
Manisha Manjari
जो सोचते हैं अलग दुनिया से,जिनके अलग काम होते हैं,
जो सोचते हैं अलग दुनिया से,जिनके अलग काम होते हैं,
पूर्वार्थ
कोई तुम्हें टूट के चाहे तो क्या कीजिए,
कोई तुम्हें टूट के चाहे तो क्या कीजिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
“मधुरबोल”
“मधुरबोल”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...